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दोहे का भावार्थ
Tag: दोहे का भावार्थ
दोहे-चौपाइयां
मल मल धोये शरीर को, धोये न मन का मैल। नहाये गंगा गोमती, रहे बैल के बैल।। कबीर इस दोहे का भावार्थ लिखें।
MONIKA
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September 20, 2024
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दोहे-चौपाइयां
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। कबीर के इस दोहे का भावार्थ बताएं। (गुरु पूर्णिमा पर विशेष)
SHISHIR
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July 21, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
पिंजर प्रेम प्रकासिया, अंतरि भया उजास। मुख कस्तूरी महमहीं, बाँणी फूटी बास।। भावार्थ बताएं।
MONIKA
-
July 15, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
पंखि उड़ानी गगन कौं, पिण्ड रहा परदेस । पानी पीया चंचु बिनु, भूलि या यहु देस ।। व्याख्या कीजिए।
SHISHIR
-
June 24, 2024
0
दोहे-चौपाइयां
संतौं भाई आई ग्याँन की आँधी रे। भ्रम की टाटी सबै उड़ाँनी, माया रहै न बाँधी।। हिति चित्त की द्वै यूँनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा। त्रिस्नाँ छाँनि परि घर ऊपरि, कुबधि का भाँडाँ फूटा। जोग जुगति करि संतौं बाँधी, निरचू चुवै न पाँणी। कूड़ कपट काया का निकस्या, हरि की गति जब जाँणी।। आँधी पीछे जो जल बुठा, प्रेम हरि जन भींनाँ। कहै कबीर भाँन के प्रगटे उदित भया तम खीनाँ।। कबीर के इस दोहे का भावार्थ बताएं।
MONIKA
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May 26, 2024
0
हिंदी
सुनि सुनि ऊधव की अकह कहानी कान कोऊ थहरानी कोऊ थानहि थिरानी हैं। कहैं ‘रतनाकर’ रिसानी, बररानी कोऊ कोऊ बिलखानी, बिकलानी, बिथकानी हैं। कोऊ सेद-सानी, कोऊ भरि दृग-पानी रहीं कोऊ घूमि-घूमि परीं भूमि मुरझानी हैं। कोऊ स्याम-स्याम कह बहकि बिललानी कोऊ कोमल करेजौ थामि सहमि सुखानी हैं। संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
SHISHIR
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May 11, 2024
0